कैकोर नामक भयानक काला भूत (Kaikor Namak Bhayanak Kala Bhoot)



                       ( is The Real Story)



हैल्लो दोस्तों मेरा नाम प्रमोद है , मैं हरनगर का रहने वाला हूँ तो दोस्तों मैं आज आपको एक रियल भूत की स्टोरी सुनाना चाहता हूँ

ये कहानी मुझे मेरी दादी ने सुनाई थी और वो बात रियल थी सब जानते थे की यह कहानी रियल है क्योंकि वह मेरे गाँव के हर बड़े बुजुर्ग को पता थी तो अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ

करीब २००५ की बात थी उन दिनों मेरी दादी हमारे घर से बहुत दूर घास लेने जाती थी और वेसे भी उन दिनों हमारा घर जंगल के काफी करीब था लेकिन वहां की सारी घास काट लेने के कारण मेरी दादी और उनकी साथ की औरतें बहुत दूर - दूर तक घास लेने जाया करती थी एक दिन सुबह करीब दस बजे के टाइम मेरी दादी रोज की तरह घास लेने गयी थी उस दिन उनके साथ उनकी एक ही सहेली गयी हुई थी वो एक बहुत बड़े बांज के पेड़ को काटने के लिए गए बांज का बहुत बड़ा था पर मेरी दादी ज्यादा पेड़ों पर जा नहीं सकती थी तो उन्होंने अपनी सहेली से बांज को काटने के लिए कहा अब मेरी दादी की सहेली बांज काटने के लिए पेड़ पर चढ़ गयी उसका नाम दुर्गा था. अब दुर्गा  बांज काटने लगी और दादी उसके एकत्र करने लगी उन्होंने थोडा ही बांह काटा था की उतने में उन्हें भयंकर आवज सुनाई देने लगी भौं......................................भौं

वो दोनों दर गए और तभी मेरी दादी जो पेड़ के नीचे खड़ी थी उसके उप्पर भयंकर पथ्हर गिरने लगे और दादी बचने की कोशिस करने लगी और चिल्लाने लगी तभी एक पथ्हर दादी के सर पर लग गया और दादी के सर से खून आने लगा दादी रोने लगी और उप्पर पेड़ में दुर्गा थी उसने हिम्मत नहीं हारी वो भगवान से प्राथना करने लगी और हनुमान चालीसा पड़ने लगी  और हनुमान चालीसा पड़ते ही वो पथ्हर गायब हो गए और वो आवाज भी बंद हो गयी तब थोडा वो लोगो ने चेन की सास ली उसके बाद दुर्गा ने दादी की मर्मपट्टी  की और वो लोग वह से चले गए और दूसरी जगह घास काटने चले गए और वह से अपने अपने लिए पूरी घास बनाकर घर चले गए.

घर जाकर उन्होंने वो बात सब लोगो को बताई लेकिन किसी ने वो बात सच नहीं मानी उस बात पर मेरी दादी को बहुत बुरा लगा की कोई उनकी बात का यकीन नहीं करता है.

उसी दिन साम को चार बजे के टाइम सब  लोग अपने - अपने काम से घर से बाहर गए हुए थे उस समय मेरी दादी घर के अन्दर अकेली थी और वह कुछ काम कर रही थी तभी अचानक उसे उसी तरह की आवाज सुनाई देने लगी जिस तरह की आवाज उसने दिन में जंगल में सुनी थी  अब तो दादी बहुत ही डर गयी थी तभी फिर से पथराव होने लगा इस बार हमारे छत में पथराव होने लगा हमारी छत टिन की बनी हुई थी तो इस कारण छत में पत्थरो की भयंकर आवाज आने लगी दादी जोर से चिल्लाई तो उधर   कौन हे सामने क्यों नहीं आता  दादी जोर जोर से चिल्ला रही तो उधर पास के खेत में काम कर रहे दादा जी ने आवाज सुन ली दादा जी दौड़ कर घर के अन्दर गए तो देखा दादी जोर जोर से चिल्ला रही थी उन्होंने दादी को जोर से चांटा मारा और दादी ने चिल्लाना बंद कर दिया फिर दादा जी ने दादी से पुछा की क्या हुआ तो दादी ने सारी बात बता दी लेकिन दादा जी ने उनकी बात पर विस्वास नहीं किया और उसे पागल समझने लगे उसके बाद तो आये दिन ऐसा पथराव होता रहता था अब एक दिन दादी रात को सोने के लिए बिस्तर लगाने लगी उसने बिस्तर लगाया और फिर लेम्प बुझाकर बिस्तर लेट गयी उन दिनों हमारे यहाँ लाईट नहीं थी और हम लेम्प का ही उपयोग करते थे तो दादी बिस्टर पर लेती ही थी की उन्होंने अपनी बगल पर कोई लेटा हुआ पाया  उन्होंने सोचा सायद दादा जी होंगे तभी उनके उप्पर हाथ पड़ा उन्हा हाथ पर अपना हाथ रखा तो उन्हें अजीब सा लगा उन्होंने सोचा की दादा जी के हाथ पर तो इतने बाल ही नहीं थे ये भालू  जेसे बाल कहा से आये उन्होंने दादा जी को पुकारा तो कोई आवाज नहीं आई उन्होंने फिर आवाज आवाज दी लेकिन फिर भी कोई आवाज नहीं आई




 अब दादी घबरा गयी और उन्होंने चिल्लाना शुरु कर दिया वो चिल्लाई तो सबकी नींद खुल गयी और लैंप जल गए दादा जी आये तो उन्होंने देखा की दादी सर पर हाथ रखकर चिल्ला रही हैं और फिर उन्होंने दादी को हिलाया और दादी एक दम से चोंक गयी की दादा जी तो उनके सामने हैं फिर दादा जी ने उनसे पुछा की चिल्ला क्योँ रही थी फिर दादी ने वो बता दिया जो उनके साथ थोड़ी देर पहले हुआ था एस बार भी दादा जी ने सच नहीं माना फिर भी दादी को तस्सली देने के लिए उन्होंने दादी से कहा की हम कल ही अपने देवता नाचने वाले के पास जायेंगे उसके बाद सब सो गए दुसरे दिन सुबह जल्दी उठाकर नहां धोकर दादा जी नाचने वाले के पास गए  वहा बहुत भीड़ लगी थी क्योंकि वहा दूर-दूर से लोग अपने मुरादें लेकर आये थे दादा जी एक जगह बैठ गए जब उनकी बारी आई तो नाचने वाले ने उन्हें आगे आने के लिए कहा दादा जी आगे गए तो नाचने वाले ने उन्हें कहा की क्यों भाई बीवी की तबियत खराब है दादा जी बोले जी महाराज फिर उन्होंने दादी के साथ जितनी भी घटनाये घटी थी दादा जी को एक एक करके सब बताया अब तो दादा जी चौंक गए की उनको केसे पता तभी नाचने वाले बोले क्यों बाली मेरे दादा जी का नाम था यही सोच रहे हो न की इसको केसे पता चला सब भगवन की कृपा है मेरे दादा जी बोले महाराज आप तो अन्तर्यामी हे आप तो सब जानते हैं तो इसका कोई उपाय बताये ?

उन्होंने कहा तो सुनो तुम्हारे मकान के नीचे बहुत साल पहले कोई जिन्दा आदमी दबा हुआ है उस समय उस मकान पर कोई और रहता था वो सही कह रहे थे क्योंकि हमने वह मकान बहुत साल पहले किसी से खरीद रखा था उस समय उन लोगों ने उसका एक विधि विधान बनाया था.... मेरे दादा जी बोले तो महाराज उस विधान के बारे में मुझे बताए तो उन्होंने कहा की उस समय उन लोगो ने उस मकान पर 11 दिन का भागवत किया था और उन्होंने संकल्प लिया था की हम हर 12 वर्ष में ये भागवत करते रहंगे लेकिन अभी 15 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक भागवत नहीं हुआ हे इसलिए ये पकड़दारी कर रहा है इसके बाद दादा जी ने उनसे पुछा की भागवत कब करना है तो उन्होंने बताया की 5 दिन के अन्दर करो उसके बाद दादा जी घर आ गए उसके बाद दादा जी और उनके सभी भाइयों ने मिलकर भागवत की तय्यारी की अब वो दिन भी आ गया जब भागवत होना था उस दिन गाँव के सारे लोगों को न्योता भेजा गया सारे गावं के लोग आये 11 पंडित बुलाये गए और भागवत शुरू हुआ........ अब भागवत होते-होते 10 दिन पूरे हो गए और 11वा दिन आ गया उस दिन जब भागवत समाप्त होने को था तो भयंकर आवाज आने लगी जिस तरह की दादी को रोज उस भूत के आते समय सुनाई देते थी अब दादी दर गयी और चिल्लाने लगी और कहने लगी वो आने वाला हे और इतने में एक एक भयंकर काला आदमी जैसा उसके सरीर पर सभी बाल ही बाल थे वो वहा से नीचे की तरफ भागने लगा सब डरकर उसे ही देख रहे थे और वह खेत ही खेत नीचे को भाग रहा था और थोड़ी देर में वह आँखों से ओझल हो गया उसके बाद भागववत समाप्त हो गया और उसके बाद आज तक वो मेरी दादी को और परिवार वालों को कभी नहीं दिखाई दिया




अगर आपको मेरी स्टोरी अच्छी लगी तो प्लीज                                      कमेंट करके मुझे जरूर बताएं यह स्टोरी सच में                                 रियल स्टोरी है और आगे भी मैं इस तरह की                                        स्टोरी लेकर आऊंगा





धन्यवाद

 

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